(The poem was inspired by the 28th Feb 2011
killings of innocent poor villagers by police in
Kakarapalli, Andhra Pradesh )
है ये दास्तान मेरे हिंदुस्तान की
जहाँ गरीबों को रोज रौंदा जा रहा
गोलियों का शिकार बनाया जा रहा है
हर लाश की कीमत लगायी जा रही है
सब हमारे प्रधान मंत्री के कहने पर
एक नया इतिहास रचा जा रहा है
Indian Shining का नारा लगाया जा रहा है
हकीकत बयान कर रही है मगर एक सच की
जहाँ चंद अमीरजादे और अमीर बन जाये
उसके लिए सरकार गरीबों की बलि चढ़ा रही है
छोटे-छोटे गाँवों में, आदिवासी इलाकों में
रोज सरे आम सरकारी कत्लेआम हो रहा है
Police तो बनायीं गयी थी अवाम की रक्षा के लिए
पर यहाँ तो ये बन बैठें है सरकारी दरिन्दे
गरीबों पर अत्याचार कोई नयी बात नहीं
ये तो रोज गरीबों का शिकार करते हैं सरकार के कहने पर
है ये दास्तान मेरे हिंदुस्तान की
जहाँ गरीबों को रोज रौंदा जा रहा
कौन रोकेगा इस नरसंहार को?
कब तक यूँ ही गरीबों का बलि चढ़ेगा?
कब तक भारतवासी यूँ ही मुख्बदिरों की तरह चुप रहेंगे?
क्यों विश्व के ठेकेदार UNO ये तमाशा चुपचाप देख रही है?
कब भारत के प्रधान मंत्री अपना नरसंहार बंद करेगा?
ये है दुखद दयनीय दास्तान मेरे हिंदुस्तान की...
--- स्वरचित ---
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