Monday, September 20, 2010

एक सच का पहलु ऐसा भी... (20th September 2010, 1000 Hrs)

'जल्दी-जल्दी खाना खा ले राजा मुन्ना,
नहीं तो राक्षस आ जायेगा,'
हँसते हुए माँ अपने लाडला को
खाना तो खिला देती है पर...
ज़िन्दगी का सबसे पहला पाठ
झूठ बोलने का सिखा देती है
एक माँ, जिसे सच सिखाना चाहिए
वही ज़िन्दगी में झूठ बोलना???
एक सच का पहलु ऐसा भी...

'सत्यमेव जयते' का जाप करनेवाला न्यायधीश
सारा जग के सामने ही झूठ का साथ देते हुए
अपराधी को माफ़ी और निर्दोष को सजा देकर
दुनिया को झूठ का पाठ पढ़ाता है
और यह ज़रूर कहता है कि 
न्याय सच का साथ देती है, पर हकीकत??? 
एक सच का पहलु ऐसा भी...

ये राज है बोलो कैसा भला
रक्षक ही बन बैठें है भक्षक आज
अब जायें तो जायें कहाँ
बचना भी चाहो तो बचोगे कैसे?
एक सच का पहलु ऐसा भी...

देशभक्ति अब सिर्फ सफ़ेद पोशाक
दिल्ली में एक कुर्सी के अलावा
सारे देश में नफरत फैलाना
और देश की सम्पति को लूटकर
स्विस बैंक में जमा करना ही रह गया है
एक सच का पहलु ऐसा भी...

पाठशाला में अध्यापक सच का  नहीं
माँ की तरह, झूठ का पाठ सबसे पहले सिखाता है
है न अजीब दुनिया यह हमारी
जहाँ सच बोलना एक गुनाह
और झूठ, एक कला की तरह
हर जगह सहराया जाता है 
एक सच का पहलु ऐसा भी...

सच की तलाश में
ज़िन्दगी के चक्रव्यूह में
हर शक्श बस यूँ ही मगर 
कुछ इस तरह उलझ जाता है
कि सच का पहलु उसे मिलकर भी 
बहुत-बहुत दूर विलिप्त हो जाता है 
एक सच का पहलु ऐसा भी...

१९ सितम्बर २०१० 

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