क़ैद कर हमको मनुष्य ने
दो सुई के जरिए बंद कर डाला
कई छोटे-छोटे डब्बों में और
देख-देख कर मुस्कुराते रहे
अपनी कामयाबी पर...
अपनी बुधिमत्ता पर नाज़ कर
मनुष्य हर पल मगर हमसे
डरता हुआ ही मिलता है ज़िन्दगी में
हमें क़ैद करना तो जनता है वो
पर हम पर विजय पाना...
२१ सितम्बर २०१०
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