Saturday, January 8, 2011

एक छोटा सा दिल (8th Jan 2010)

एक छोटा सा दिल

ना रातों को नींद
और दिन में चैन
एक छोटा सा दिल
करता है कितना बेचैन...

भटकता है ज़िन्दगी भर ये आवारा दिल 
मिल भी जाये अगर सब कुछ
एक छोटा सा दिल
करता है कितना बेचैन...

पलक झपकते रोता है ये दिल क्यों?
ना जाना अभी तक ऐसा होता है क्यों?
एक छोटा सा दिल
करता है कितना बेचैन...

मिल जाये जो करे प्यार उसको
चाहत हर एक दिल का है बस यही
एक छोटा सा दिल
करता है कितना बेचैन...

दुनिया सिमट जाती है छोटे से दिल में 
फिर भी ये ढूंढता रहता है सारा जहान
एक छोटा सा दिल
करता है कितना बेचैन...

--- स्वरचित ---

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